धार्मिक

इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर बनेंगे कई शुभ योग गणेश जी स्थापना पूजन का जाने मुहूर्त,,,

  • श्रीगणेश चतुर्थी- २०२३ *

सभी स्नेहीजनों को
गणेशोत्सव —- की
हार्दिक शुभकामनाएं…!

१९ सितंबर से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होगी, जिसका समापन २८ सितंबर होगा। इस साल गणेश चतुर्थी पर कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसमें किए पूजा से मनचाहे फल की प्राप्ति होगी।

सुख-समृद्धि के प्रतीक, विघ्न विनाशक, सिद्धि विनायक, बुद्धि के अधिदेवता, अग्र पूज्य, वक्रतुण्ड, महोदर, लंबोदर आदि अपने गुण, प्रभाव और रूप से जाने जाने वाले श्रीगणेश का इस बार मंगलवार १९ सितंबर स्वाती नक्षत्र, ध्वज योग, पराक्रम योग साथ सूर्य-बुध के परिवर्तन योग के होते भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्रीगणेश जन्मोत्सव है, जो गुरुवार २८ सितंबर २०२३ अनंत चतुर्दशी तक दस दिनों के लिए मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त कीजै शुभ काजा।
तो फल मिले मनचाहा।।

यह कहावत यूं ही नहीं बन गई। शुभ मुहूर्त पर ही किए गए कार्य सिद्ध होते हैं और बिना मुहूर्त के कार्यो में अधिकांश असफलता मिलती है। इसलिए गणेश चतुर्थी पर श्रीगणेश की स्थापना भी शुभ मुहूर्त में ही की जानी चाहिए ताकि हमें मनवांछित फल की प्राप्ति हो।

इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत १८ सितंबर को दोपहर १२ बजकर ४० मिनट पर होगी और १९ सितंबर को दोपहर ०१ बजकर ४५ मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी और १० दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत १९ सितंबर को ही होगी।

वृश्चिक जो कि स्थिर लग्न है; १९ सितंबर के दिन सुबह १० बजकर ५४ मिनट से दोपहर ०१ बजकर १० मिनट तक रहेगा। इस सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में आप पूरे मान-सम्मान, हर्षोल्लास और ढोल-नगाड़ों के साथ गणपति को अपने घर लाकर विराजमान करें और विधि-विधान से पूजा करें। शुभ संयोगों के संगम में निश्चित आपकी मनोकामना पूर्ण होकर धन-सम्पदा और खुशियों का खजाना आपके घर ले आएं।

गणपति के बाईं सूंड में चंद्रमा का प्रभाव होता है और जैसे चंद्रमा का स्वभाव है शांत-शीतल और सौम्य उसी तरह बाईं ओर वाले सूंड के गणपति हमारे लिए श्री, लक्ष्मी, आनंद, सुख-समृद्धि, यश व ऐश्वर्य के दायक होते हैं।

वहीं दाईं ओर सूंड वाले गणपति में सूर्य का प्रभाव होता हैं ऐसे गणपति की पूजा अधिकतर मंदिरों में की जाती है, क्योंकि उनकी नियमित तरीके से पूजा-पाठ, आराधना, आरती विधि-विधान पूर्वक करनी अत्यन्त आवश्यक है और जरा सी गलती मुसीबत बन सकती है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाले गणपति विराजमान हैं, जोकि अपने आपमें अद्भुत व अनुपम हैं। क्योंकि उनकी पूजा-अर्चना पूर्ण विधि-विधान व शास्त्रोक्त है।

इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि, यदि आप वास्तु दोष निवारण के लिए वास्तु गणपति विराजमान करते हैं तो उनकी सूंड दाईं ओर ही होगी और यदि पूर्ण रूप से सिद्ध व अभिमंत्रित श्वेतार्क गणपति की आप पूजा करते है तो वह साक्षात गणेश स्वरूप ही हैं।

यदि घर में लंबे समय से कोई संतान नहीं हुई है और संतान प्राप्ति की इच्छा से आप गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करना चाहते है तो गणेश उत्सव पर बाल गणेश की प्रतिमा घर लाएं।

घर में आंनद, उत्साह और प्रगति, उन्नति के लिए गणेशजी की नृत्य करते हुए मुद्रा वाली प्रतिमा घर लाएं।

जो लोग कला में विश्वास रखते है, उन्हें भी नृत्य करते हुए गणेशजी की प्रतिमा घर में स्थापित करनी चाहिए।

यदि घर में स्थाई सुख-शांति व आंनद के लिए आप गणेशजी की प्रतिमा घर लाना चाहते हैं, तो गणेशजी की ऐसी प्रतिमा घर लाए जिसमें गणेशजी लेटे हुए आराम करने की मुद्रा में हों। ऐसी प्रतिमा गृहस्थ व्यक्तियों के लिए भी अति शुभ मानी जाती है।

जब भी आप गणेश प्रतिमा लें इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि, उनका एक हाथ वरदान की मुद्रा में हो, एक हाथ में दंत, एक हाथ में लडडू होना चाहिए। साथ ही उनका वाहन मूषक राज भी अवश्य होना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button