देश के विभिन्न राज्यों से आए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने राज्य सूचना आयोग,राज्य पाल ,मुख्य सचिव को सौंपा ज्ञापन रखी अपनी मांग,,,,

संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 लागू हो जाने के बाद भी सच की लड़ाई लड़ने वालों को वांछित सूचना नहीं मिलती है तो ‘खींचो न कमानो को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार में निकालों – अकबर इलाहाबादी’ के इस कथन को आत्मसात करते हुए भारत के विभिन्न राज्यों के आरटीआई कार्यकर्ता लामबंद होने लगें है और सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों के सूचना आयोग के समक्ष ज़ोरदार ढंग से अपनी समस्याओं को रखते हुए सही ढंग से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के पालन हेतु मुहिम छेड़ दिया गयी है । इसी कड़ी में पुनः छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग रायपुर के ढुलमुल रवैया के कारण आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा 27 अप्रैल 2023 को दोबारा राज्य सूचना आयोग रायपुर के दरवाजे पर पहुँचकर व्हिसिलब्लोअर के रूप में आयोग का दरवाज़ा खटखटाया जिससे छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग मे पदस्थापित सूचना आयुक्त और पदाधिकारियों के ढुलमुल रवैए के कारण नकारात्मक प्रभाव पड़ा और अपनी मनमानी पर सूचना आयुक्त उतर आए हैं तथा मध्य प्रदेश सूचना आयोग के सूचना आयुक्त अपनी मनमानी करते हैं ।
आरटीआई कार्यकर्ता अभिषेक कुमार बताते हैं कि भारत के समस्त सूचना आयोग में पदस्थापित सूचना आयुक्त संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना के लिए आवेदन लगाने पर पहले तो सूचना दिलाने से बचते हैं या नहीं दिला पाते हैं या लोक जन सूचना अधिकारी से सांठगांठ कर अपनी रोटी सेकते हैं और परितोष लेकर लोक जन सूचना अधिकारी पर कार्यवाही नहीं करते हैं और यदि प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहाँ प्रथम अपील करते हैं तो फिर सूचना आधी अधूरी प्रदान की जाती है जो सरेआम संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 का खुलेआम धज्जियाँ उड़ाते है ।
भारत के विभिन्न राज्यों के आरटीआई कार्यकर्ता अपने अनुभव शेयर करते हुए कहते हैं कि संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना माँगने पर कवरिंग लेटर पर संलग्नक लिखा होता है लेकिन लिफाफा खोलने पर अंदर संलग्नक सूचना नहीं होती है जो बेहद ही शर्मनाक है और सूचना आयुक्त सूचना नहीं देने के लिए लोक जन सूचना अधिकारी को प्रोत्साहित करते हैं तथा आवेदक को हतोत्साहित करते हैं ।
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त को संसद द्वारा पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के तहत अपने राज्यों में लागू करवाने और समर्थक है और आवेदक को धमकाते हैं । अन्य कार्यकर्ताओं ने बताया कि जितनी मक्कारी संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नियुक्त पदाधिकारी करते हैं उतना शायद ही किसी अधिनियम में होता हो । आरटीआई लगाने पर पहले कहेंगे शुल्क कम भेजा है या अतिरिक्त शुल्क भेजें और जब आवेदक अतिरिक्त शुल्क जमा करता है तो जवाब मिलता है कि सूचना नहीं दी जा सकती है। कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि हम आरटीआई शौकिया तौर पर नहीं लगाते और न हीं इतना फिजुल पैसा और समय है कि हम बर्बाद करें। हम आज सच की लड़ाई लड रहे हैं जिसमें आरटीआई के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं को संबंधित को प्रदर्शित कर सच उजागर करना चाहते हैं लेकिन संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विभाग के ग़लत रवैए के कारण आज हम सभी आयोग को आइना दिखाने, जगाने के लिए उपस्थित एवं एकत्रित हुए हैं और आज यह दूसरी बार है जो हम उत्तराखंड में संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सभी विभाग को जगा रहें हैं । यह कारवां आज सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रदेशों में फैल चुका है। इस यात्रा का ज्ञापन आज मुख्य सचिव और राज्यपाल छत्तीसगढ़ को ज्ञापन दिया गया जिसकी सूचना पूर्व में दी गई थी फिर भी राज्यपाल और मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ से मिलकर ज्ञापन नहीं लिए । भारत के विभिन्न राज्यों से आये आरटीआई कार्यकर्ता मे बिहार से पूरुषोत्तम
, श्याम मुरारी , पश्चिम बंगाल से रामदेव , उत्तर प्रदेश से राहुल कनौजिया, महाराष्ट्र से चंद्रप्रकाश, झारखंड के ओम प्रसाद छत्तीसगढ़ से गनपत शर्मा,तेजेश्वर् सिंह, ओंकार मल्होत्रा, मध्य प्रदेश से बी आर मेश्राम, लखन लाल , माखन सिंह धाकड़, दिनेश सिंह नवारिया, विशाल दुबे, संजय मिश्रा, विनोद दुबे, डीडी यादव, हरवीर सिंह, जयपाल सिंह खींची,अजय सिंह, सुनीता नहार, नूर गुल खान, देवेंद्र नहार, राजवीर सिंह होरा, राजेश अग्निहोत्री, शिवप्रसाद, राजू पाल, अनिल जैन, कुलबीर सिंह बग्गा, रामप्रसाद लाडिया राजस्थान, अन्य राज्यो के कार्यकर्ता भी आये और बहुत ही शांति पूर्ण तरीके से अपना ज्ञापन देने का प्रयास किया लेकिन सूचना आयोग मे ज्ञापन दिया गया । यह भारत के आरटीआई कार्यकर्ताओं की जीत है अब तक इस प्रकार का ज्ञापन का दौर नहीं चला था ।