धार्मिक

कब है करवा चौथ? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि,,

हिन्दू धर्म, अनेक त्यौहारों एवं तिथियों से संपन्न है, जहां, हर माह, अपने साथ कोई न कोई उत्सव लेकर आता है। हर तिथि का अपना एक महत्व होता है, लेकिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो उपवास किया जाता है, उसका सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत अधिक महत्व माना गया है। दरअसल, इस दिन ‘करवा चौथ’ का व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं वर्ष 2023 में करवा चौथ कब मनाया जाएगा?

करवा चौथ तिथि एवं शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचाग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत हर वर्ष, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है और इस बार यह व्रत, 01 नवंबर 2023, दिन बुधवार को पड़ रहा है। करवा चौथ की तिथि 31 अक्टूबर 2023, मंगलवार को रात्रि 09 बजकर 30 मिनट से शुरु हो जाएगी और 01 नवंबर 2023, बुधवार को चंद्र दर्शन के बाद रात 09 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।

  • पूजा का शुभ समय
    करवा चौथ व्रत की पूजा का शुभ समय 01 नवंबर, शाम 05 बजकर 54 मिनट से लेकर 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
    चंद्रोदय का समय
    करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रोदय का समय 01 नवंबर रात 08 बजकर 26 मिनट पर रहेगा।

करवा चौथ व्रत का महत्व
हिन्दू धर्म में करवा चौथ व्रत का अत्यधिक महत्व माना गया है। यह केवल एक पर्व ही नहीं, बल्कि एक पत्नी का अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक बन गया है। इस दिन, सुहागिन महिलाएं, अपने पति की लंबी आयु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन, कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि, हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह एक निर्जला व्रत है, अर्थात, इस व्रत में महिलाएं, अन्न एवं जल ग्रहण नहीं कर सकतीं। वे, रात में चंद्रमा की पूजा करने के बाद पति के हाथों से जल ग्रहणकर व्रत का पारण करती हैं।

करवा चौथ पूजन विधि

  1. करवा चौथ व्रत में शाम के समय पूजास्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान की मूर्ति स्थापि करें।
  2. उसके बाद, पूजास्थल में एक मिट्टी का करवा और एक मीठा करवा रखें, जिसे खांड का करवा भी कहा जाता है।
  3. फिर करवा चौथ व्रत कथा पढ़ें और ध्यान रखें कि इस दिन, एक नहीं, दो कथाएं पढ़नी चाहिए।
  4. रात को चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
    करवा चौथ के दिन महिलाएं, अपनी सास व अपने से बड़ों को कपड़े व भोजन देती हैं। माना जाता है कि ऐसा करना शुभ होता है और बड़ों का आशीर्वाद हमेशा व्रती के साथ बना रहता है।

करवा चौथ के पर्व का धार्मिक के साथ-साथ सामजिक महत्व भी माना जाता है। क्योंकि, इस पर्व में महिलाएं, एक समूह में कथा सुनती हैं और साथ ही इस त्यौहार से जुड़े अन्य रीति-रिवाज़ों को निभाती हैं। यहाँ तक कि रात में चन्द्रमा के निकलने की प्रतीक्षा भी साथ मिलकर करती हैं। इस त्यौहार से भक्तिभाव की वृद्धि तो होता ही है, साथ ही साथ, दम्पति में एक-दूसरे के प्रति, प्रेम भाव की वृद्धि भी होती है।

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